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वीरो की गाथा - गौरव गाथा 3

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वसंत पंचमी का दिन हमें "हिन्दशिरोमणि पृथ्वीराज चौहान" की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी इस्लामिक आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ बंदी बनाकर काबुल अफगानिस्तान ले गया और वहाँ उनकी आंखें फोड़ दीं। 🚩पृथ्वीराज का राजकवि चन्द बरदाई पृथ्वीराज से मिलने के लिए काबुल पहुंचा। वहां पर कैद खाने में पृथ्वीराज की दयनीय हालत देखकर चंद्रवरदाई के हृदय को गहरा आघात लगा और उसने गौरी से बदला लेने की योजना बनाई। चंद्रवरदाई ने गौरी को बताया कि हमारे राजा एक प्रतापी सम्राट हैं और इन्हें शब्दभेदी बाण (आवाज की दिशा में लक्ष्य को भेदनाद्ध चलाने में पारंगत हैं, यदि आप चाहें तो इनके शब्दभेदी बाण से लोहे के सात तवे बेधने का प्रदर्शन आप स्वयं भी देख सकते हैं। इस पर गौरी तैयार हो गया और उसके राज्य में सभी प्रमुख ओहदेदारों को इस कार्यक्रम को देखने हेतु आमंत्रित किया। पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पहले ही इस पूरे कार्यक्रम की गुप्त मंत्रणा कर ली थी कि

वीरो की गाथा - गौरव गाथा 2

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🕉️भगवा में तेज व निखार रहे इसलिए रक्त की नदियाँ बहाने वाले, वह निरंतर लहराये इसलिए साँसों को वार देने वाले महान योद्धा तानाजी मालसुरे जी के बलिदान दिवस पर उन्हें शत्-शत् नमन🚩 🔰"गढ आला पण सिंह गेला" -छत्रपति शिवाजी महाराज ♦️सिंहगढ़ का नाम आते ही छत्रपति शिवाजी महराज के वीर सेनानी तानाजी मालसुरे की याद आती है। तानाजी ने उस दुर्गम कोण्डाणा दुर्ग को जीता, जो ‘वसंत पंचमी’ पर उनके बलिदान का अर्घ्य पाकर ‘सिंहगढ़’ कहलाया। 🚩छत्रपति शिवाजी महाराज को एक बार सन्धिस्वरूप 23 किले मुगलों को देने पड़े थे। इनमें से कोण्डाणा सामरिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण था। एक बार माँ जीजाबाई ने छत्रपति शिवाजी महाराज को कहा कि प्रातःकाल सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय कोण्डाणा पर फहराता हरा झण्डा आँखों को बहुत चुभता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सिर झुकाकर कहा - मां, आपकी इच्छा मैं समझ गया। शीघ्र ही आपका आदेश पूरा होगा। 🚩कोण्डाणा को जीतना आसान न था; पर छत्रपति शिवाजी महाराज के शब्दकोष में असम्भव शब्द नहीं था। उनके पास एक से एक साहसी योद्धाओं की भरमार थी। वे इस बारे में सोच ही रहे थे कि उनमें

वीरो की गाथा- गौरव गाथा

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भानजी जड़ेजा : इतिहास का वह महान योद्धा जिसके युद्ध कौशल और वीरता को देख अकबर को बीच युद्ध से भागना पड़ा था वैसे तो भारत की भूमि वीर गाथाओ से भरी पड़ी है पर कभी कभी इतिहास के पन्नो ने उन वीरो को सदा के लिए भुला दिया जिनका महत्व स्वय उस समय के शासक भी मानते थे और उन वीरो के नाम से थर थर कांपते थे, आज अपने इस लेख में हम आपको उन्ही में से एक ऐसे वीर की कहानी बतायेंगे जो आपने पहले शायद ही कही पढ़ी हो, वह वीर उस स्वाभिमानी और बलिदानी कौम के थे जिनकी वीरता के दुश्मन भी दीवाने थे। जिनके जीते जी दुश्मन, राजपूत राज्यो की प्रजा को छु तक नही पाये, अपने रक्त से मातृभूमि को लाल करने वाले जिनके सिर कटने पर भी धड़ लड़ लड़ कर झुंझार हो गए तो आईये जानते है इन्ही की सम्पूर्ण सच्ची कहानी.. वीर योद्धा : भानजी जाडेजा अकबर और भानजी जड़ेजा के मध्य संग्राम मुगलो को दौड़ा-दौड़ा कर भगाया : वीर योद्धा : भानजी जाडेजा यह सच्ची कहानी है एक वीर हिन्दू योद्धा की जिन्होंने अकबर को हरा कर भागने पर मजबूर किया,और कब्जे में ले लिए उनके 52 हाथी 3530 घोड़े पालकिया आदि | यह एक ऐसी वीर स्वाभिमानी और बलिदानी कौम थी जिनकी वीरता के

मंदी क्यो(Why recession) ?

Why recession? मंदी क्यों है व्यापार में ? बर्तन का व्यापारी परिवार के लिये जूते ऑनलाइन खरीद रहा है.... जूते का व्यापारी परिवार के लिये मोबाइल ऑनलाइन खरीद रहा है.... मोबाइल का व्यापारी परिवार के लिए कपडे ऑनलाइन खरीद रहा है.... कपड़े का व्यापारी परिवार के लिये घड़ी ऑनलाइन ख़रीद रहा है.... घडी का व्यापारी बच्चों के लिए खिलोने ऑनलाइन ख़रीद रहा है... खिलोने का व्यापारी घर के लिये बर्तन ऑनलाइन खरीद रहा है ... !!! ये सब रोज सुबह अपनी-अपनी दुकान खोल कर अगरबत्ती लगा कर भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि आज धंधा अच्छा हो जाये। कहाँ से होगी बिक्री ?? खरीददार आसमान से नहीं आते हम ही एक दूसरे का सामान खरीद कर बाजार को चलाते हैं क्योंकि हर व्यक्ति कुछ न कुछ बेच रहा है और हर व्यक्ति खरीददार भी है । ऑनलाइन खरीदी करके आप भले 50-100 रु की एक बार बचत कर लें लेकिन इसके नुक्सान बहुत हैं क्योंकि ऑनलाइन खरीदी से सारा मुनाफा बड़ी बड़ी कंपनियों को जाता है जिनमें काफी विदेशी कंपनियां भी हैं । ये कम्पनियाँ मुठ्ठीभर कर्मचारियों के बल पर बाजार के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेती हैं। ये कम्पनिया

Maa durga k nine swaroop

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Maa navdurga नवदुर्गा की कथा नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों के विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परंतु यह सब एक हैं। In Navdurga Hindu religion nine forms of Durga or Parvati are said together. These new Durga are called Vastshini of sins, every goddess has different vehicles, there are arms but all are all one. 1) मां शैलपुत्री : मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है। एक बार दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को निमंत्रित नहीं किया। सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो उठीं। शंकरजीने कहा कि सारे देवताओं को

Friend - who knows..?

friend - who knows...? There were two friends who were walking across a river. While they were walking they got into an ugly argument and out of anger one of them slapped the other on the face. The one who was slapped, though was hurt he did not said anything and quietly wrote over the sand "I am hurt because today my friend slapped in my face". They resumed walking and kept walking until they came across an river. They decided to take bath in the river then. While they were taking bath the one who had got slapped started drowning. The other friend came to his rescue and saved him. After he got rescued, he wrote on the stone "Today I was saved by my best friend". The other friend asked him, "Why did you write on the sand when I slapped you while you wrote on the stone when I saved you?" Upon this, the other friend replied that its better we write on sand when your friend hurts you as it will be gone with the wind but write it on stone when your f

सावन की गाथा

सावन की गाथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे बढ़िया माना जाता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से, मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। शास्त्रो के मुताबिक इस माह में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं और संसार के पालनहार के रूप में शिव जी ही कार्य करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करते समय कुछ कामों को करने से बचना चाहिए। Sawan's month is considered to be the best time to please Lord Shiva. In this month worshiping Shiva by law, auspicious results are also received by man. According to the scriptures, Lord Vishnu lives in Paltal Lok during this month and Shiva ji acts as a follower of the world. In the month of Sawan, avoiding doing some deeds while worshiping Lord Shiva should be avoided. शिव कृपा पाने के लिए पूरे महीने सात्विक भोजन करना चाहिेए इस कारण सावन के महीने में मांस,मदिरा,प्याज और लहसुन का सेवन बंद कर देना चाहिए। सावन के महीने में इन सबके सेवन को पाप माना जाता है। To get Shiva grace, Satakavic food should